PM Poshan Yojana : भारत के बच्चों के बेहतर पोषण की दिशा में बड़ा कदम

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PM Poshan Yojana

प्रधानमंत्री पोषण योजना (PM POSHAN Yojana) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश के स्कूली बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन उपलब्ध कराना है। यह योजना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देने के साथ ही उन्हें शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करने का एक सशक्त माध्यम है। इस योजना ने भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई दिशा की शुरुआत की है, जो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बेहद आवश्यक है।

योजना की पृष्ठभूमि

PM Poshan Yojana, जिसे पहले “मिड-डे मील योजना” के नाम से जाना जाता था, 1995 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को मुफ्त पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना था। 2021 में, इस योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया, और इसके दायरे में व्यापक सुधार किए गए ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल सके और वे शिक्षा की ओर आकर्षित हों। यह योजना भारत सरकार और राज्य सरकारों के बीच साझा वित्तपोषण के माध्यम से संचालित होती है।

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प्रधानमंत्री पोषण योजना के मुख्य उद्देश्य

  1. बच्चों के पोषण में सुधार: यह योजना स्कूली बच्चों के पोषण स्तर को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई है। बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर मिड-डे मील उपलब्ध कराया जाता है, जिससे वे शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें और उनका मानसिक विकास भी हो सके।
  2. स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाना: भोजन की कमी के कारण कई बच्चे स्कूल से दूर रह जाते हैं। इस योजना के माध्यम से उन्हें स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे उनकी उपस्थिति दर में सुधार होता है।
  3. ड्रॉपआउट दर में कमी: जब बच्चों को स्कूल में मुफ्त भोजन मिलता है, तो वे नियमित रूप से स्कूल आते हैं और पढ़ाई में ध्यान लगाते हैं। इससे ड्रॉपआउट दर में कमी आती है और बच्चों की शिक्षा में निरंतरता बनी रहती है।
  4. शिक्षा और स्वास्थ्य का संयोजन: यह योजना बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास को समग्र रूप से बढ़ावा देती है। पौष्टिक भोजन से बच्चों का शारीरिक विकास होता है, जिससे वे मानसिक रूप से भी अधिक सक्षम होते हैं और पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

योजना के तहत दिए जाने वाले पोषक तत्व

PM Poshan Yojana के तहत बच्चों को संतुलित आहार उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, और खनिज तत्वों का समावेश होता है। यह आहार बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है, जिससे उनका विकास सुनिश्चित होता है। योजना के तहत निम्नलिखित पोषक तत्व दिए जाते हैं:

  • कार्बोहाइड्रेट: चावल, रोटी या अन्य अनाजों के माध्यम से
  • प्रोटीन: दालें, अंडे, सोयाबीन आदि
  • विटामिन और खनिज: हरी सब्जियां, फल और दूध

योजना के लाभ

PM Poshan Yojana के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जो न केवल बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं, बल्कि पूरे समाज को भी सकारात्मक दिशा में ले जाते हैं। इसके कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  1. स्वास्थ्य में सुधार: इस योजना के तहत बच्चों को पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिलने से उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे कुपोषण की समस्या को कम करने में मदद मिलती है, जो कि भारत के कई ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में एक गंभीर मुद्दा है।
  2. शिक्षा में सुधार: भोजन की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई में रुचि कम हो जाती है। लेकिन जब उन्हें स्कूल में पौष्टिक भोजन मिलता है, तो वे नियमित रूप से स्कूल आते हैं और पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होता है।
  3. सामाजिक समानता: यह योजना समाज के सभी वर्गों के बच्चों को समान रूप से लाभान्वित करती है। चाहे बच्चा किसी भी जाति, धर्म या आर्थिक पृष्ठभूमि से हो, उसे स्कूल में समान भोजन मिलता है। इससे सामाजिक समानता और भाईचारे की भावना को बल मिलता है।
  4. माता-पिता पर आर्थिक बोझ कम करना: गरीब परिवारों के लिए बच्चों को स्कूल भेजना और उन्हें पौष्टिक भोजन देना एक चुनौतीपूर्ण काम होता है। इस योजना से माता-पिता पर आर्थिक बोझ कम होता है, क्योंकि उन्हें बच्चों के भोजन की चिंता नहीं रहती।
  5. लिंग समानता को बढ़ावा: कई ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को स्कूल भेजने की प्रवृत्ति कम होती है। लेकिन इस योजना के कारण माता-पिता लड़कियों को भी स्कूल भेजने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे लिंग समानता को बढ़ावा मिलता है।

योजना की चुनौतियाँ

हालांकि PM Poshan Yojana ने कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

  1. भोजन की गुणवत्ता: कई बार भोजन की गुणवत्ता में कमी की शिकायतें आती हैं। खाद्य पदार्थों की सही गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निरीक्षण की आवश्यकता है।
  2. भोजन की समय पर आपूर्ति: कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में भोजन की समय पर आपूर्ति एक बड़ी चुनौती है। इन क्षेत्रों में भोजन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बेहतर परिवहन और लॉजिस्टिक्स की जरूरत होती है।
  3. बुनियादी ढाँचे की कमी: कई सरकारी स्कूलों में उचित किचन शेड, पानी और सफाई की सुविधाओं का अभाव होता है, जिससे भोजन पकाने और वितरण करने में समस्याएँ आती हैं।
  4. कुपोषण की गंभीर समस्या: इस योजना के बावजूद, भारत के कई क्षेत्रों में बच्चों में कुपोषण की दर अभी भी उच्च है। इसके लिए योजना का व्यापक और प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है।

योजना के सुधार के लिए सुझाव

PM Poshan Yojana को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ सुधारों की जरूरत है:

  1. खाद्य गुणवत्ता की निगरानी: भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जानी चाहिए। इसके लिए स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा निरीक्षण किया जाना चाहिए ताकि बच्चों को उच्च गुणवत्ता का भोजन मिल सके।
  2. सामुदायिक भागीदारी: PM Poshan Yojana की सफलता के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी भी आवश्यक है। अभिभावकों और स्थानीय संगठनों को योजना के कार्यान्वयन में शामिल किया जा सकता है, जिससे वे भोजन की गुणवत्ता और वितरण पर नजर रख सकें।
  3. पोषण शिक्षा: बच्चों और उनके माता-पिता को पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित करना जरूरी है, ताकि वे स्कूल के बाहर भी स्वस्थ भोजन की आदतें अपनाएँ।
  4. सुरक्षा और स्वच्छता: भोजन तैयार करने और वितरित करने में सुरक्षा और स्वच्छता के मानकों का पालन किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों में पर्याप्त किचन सुविधाएँ और स्वच्छता व्यवस्थाएँ होनी चाहिए।

निष्कर्ष

PM Poshan Yojana भारत के बच्चों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। यह योजना न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक है, बल्कि उनकी शिक्षा और समग्र विकास को भी प्रोत्साहित करती है। सरकार को इस योजना के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि यह योजना हर बच्चे तक पहुंचे और उसका समग्र विकास सुनिश्चित कर सके। देश का भविष्य बच्चों पर निर्भर है, और प्रधानमंत्री पोषण योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारत के बच्चों को एक स्वस्थ, शिक्षित और उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहा है।

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